धार्मिक साहित्य

हरेक धर्म-मत के साहित्य का संकलन

शनिवार, 7 जून 2014

हम सब ईश्वर की त्रिज्याएं हैं-स्वामी विवेकानंद

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हम सब ईश्वर की त्रिज्याएं हैं स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि सत्य तो एक ही है, बस हम उसे अपने-अपने नजरिये से भिन्न बना देते हैं। यह बात य...
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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

हिंदुओं के रत्न, मुसलमानों के नगीने

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-  सुहेल वहीद फिल्म उमराव जान के एक सीन में फारुख शेख रेखा के बालों में आहिस्ता-आहिस्ता ऊँगलियाँ फिरा रहे हैं। इस बेहद खूबसूरत और रोमांट...
शनिवार, 17 नवंबर 2012

The Power of Healing Prayers for the Sick by Pastor Jim Feeney, Ph.D.

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Sermon Summary :  For centuries, people of faith have offered prayers for the sick , often with dramatic results. More recently, medical ...
मंगलवार, 10 जुलाई 2012

प्रगति का लक्षण -श्री आनन्दमूर्ति

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Source : http://www.livehindustan.com/news/editorial/guestcolumn/article1-story-57-62-242306.html बाधा को लांघकर आगे बढ़ने की चेष्टा करना ज...
शनिवार, 24 मार्च 2012

अब्राहम के वंशज हैं भारत के ब्राह्मण ?

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Between East and West Reflections on the Descendants of Abraham Parsha Chayei Sarah, 2006 To the sons of his concub...
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DR. ANWER JAMAL
धर्म और मत में अंतर है। धर्म ईश्वर निर्धारित करता है और मत इंसान बनाता है। धर्म से शांति आती है और मत से अशांति। मत बहुत से होते हैं और धर्म केवल एक है। धर्म का लोप करने वाले वे धर्मगुरू होते हैं जो धर्म के नाम पर अपना मत चला देते हैं। इसलाम एक धर्म है। इसे शिया-सुन्नी, हनफ़ी-शाफ़ई, देवबन्दी और बरेली मतों में बांटने वाले हम इंसान हैं। हम अपने मत पर चलते हैं और समझते हैं कि हम ईश्वर के धर्म पर चल रहे हैं। कोई नादानी से ऐसा करते हैं और कोई जानबूझकर। मज़हबी ठेकेदारों का सारा ज़ोर इस बात पर होता है कि लोग उनकी बात आंखें मूंदकर मान लें और कोई सवाल न करें। आप क़ुरआन पढ़िए, आप पैग़ंबर मुहम्मद साहब स. की जीवनी पढ़िए। आपको शांति मिलेगी क्योंकि आपको धर्म मिलेगा। अवाम को लूटने वाले उलमा और पीरों से सावधान
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